बिन पंख उड़ जाऊँं
बादलों में खो जाऊँ
आसमान के गांव में
बादलों के छाँव में
हवा के सरगोशी के नग़्मे
कानों में छम से पिघले
मेरे संग तुम आओ ना
संग मेरे खो जाओ ना
इन नर्गिसी नज़ारों में
कुछ चाँद कुछ सितारों में
बिन पंख उड़ जाऊँं
बादलों में खो जाऊँ
– © ममता