काश….कि कोई हवा चले
और यादों का मंज़र
संग लिए जाये
दर्द भरा ये मौसम बस
यूँ ही चुपचाप
पिघलता जाए
पिघले जैसे आसमान में
तपता बादल
ठंडी रातों में
पतझड़ में शाखों से जो
पत्ते बेरहमी से
गिरतें हैं
अपनी कहानी दर्द भरी
ख़ामोशी से
लिख देते हैं
पत्तों की ढेरी के नीचे
इक कहानी
सोई है
और ठंडी रातों में
कोहरे की
इक धुंध की
चादर ओढ़े है
सोया है इक सपना
कल का
या इक कहानी
सोई है
कल जब सूरज आकर
अपने रौशनी से
उसे उठाएगा
तो फिर खिल जाएगी
वो कहानी
इक अंगड़ाई सी
अरमान लिए
– © ममता
2 Comments
Pooja
Wah.. very Beautiful, amazing❤❤❤
Anurag Srivastava
मेरी शुभकामना हमेशा तुम्हारे साथ है,तुम्हारी पेन्टिंग और रचना दोनो बहुत अच्छी है।
अनुराग
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