Skip to content Skip to sidebar Skip to footer

ऐ ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

कभी कभी मिसरे पे जां यूँ अटके

ज़िन्दगी ऐसे गीत तू क्यों गा रही है

तेरे इशारे कुछ समझ ना आये

ऐ ज़िन्दगी तू मुझे क्या सिखा रही है

राह में इक भरम बिखेर के

खलिश-ए-तस्सुवर क्यों करा रही है

सबक़ के पन्ने यूँ जुड़ते जाएं

शायद ये मेहरबानी तू दिखा रही है

-© ममता शर्मा