February 5, 2022 अंजुमनमुश्ताक़ है नज़र तेरे अंजुमन में आज,बेक़रार दिल को तेरी आरज़ू भी है ,कौन चाहता है कि शब यूँ ढले.इंतेज़ार में शब-ए-महताब है -ममताIf you like my post, share it:FacebookXLike this:Like Loading... Related