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Author page: Mamta Sharma

ख़ामख़ाह….

ख़ामख़ाह पिछले पहर जो बंधने लगी थी एहसासों की डोरी तोड़े नहीं टूटती थी ना जाने क्यों, नश्तर लगा दिया आज ख़ुद ही मैंने…. दूर चली मैं तुझसे बहुत दूर, फिर ना मिलने की उम्मीद में, कुछ ख्वाबों की पंखुड़ियां समेटे थी हथेलियों में कभी मैंने उड़ा दिया इक-इक कर के खुले आसमान में, कल…

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ख़ुशी

आधी रात की ख़ुमारी रेलवे स्टेशन की अजब सी ख़ुशबू आती जाती ट्रेनें और गूंजती उनकी आवाज़ें गुलाबी सी ठंड और इक इंतज़ार सेलफ़ोन की बैटरी का रूठना उस पल न समझ में आई मजबूरन की हुई प्लेटफार्म पे चहलकदमियां मिलते बिछड़ते लोग और उसी भीड़ में कुछ ढूंढती मेरी आँखे इक किस्से की तलाश…

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Twilight: A Union

Embellished with warmth of sun Day is going to meet His beloved night And leaving footsteps behind Those footsteps Are moments Moments, those are passing by And other side The night was Passionately waiting for Her sweetheart Under the moonlit sky She was anxious To narrate The story of her lonely night After a long…

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Tranquility

A pair of divine hands have made A canopy of blessing over you You need an insight To recognize their clue The sky embraces his sweetheart Earth with full of passion The sun in tandem with his beloved moon With an infinite succession Under the light of natural accordance The plant of humanity grows An…

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इल्तिजा

बात लबों पे जो आज आई है उसे तो कहने दो पर पास न आओ कुछ दूरी तो दरमियान रहने दो हमने छेड़ी जो ग़ज़ल तो तुम्हे सुनना होगा गर बिखरे अश्कों के फूल तो उन्हें चुनना होगा छेड़ो कोई राग और तरन्नुम को अब बहने दो आओ बैठो करीब और जज़्बों को और सुलगने…

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ख़ामोशी की दस्तक़

आज दी दस्तक़ फिर उसने आख़िर पूरे साल में कांधे पे इक गर्म शॉल और आँखों में इक ख़ामोशी…. पूछ लिया दरवाज़े पर ही अनगिनत सवाल कहा मैंने अब आ भी जाओ थोड़ा ठहरो बैठ भी जाओ कुछ तो अपनी थकन उतारो झाड़ दो उन्हें अपने कांधों से बर्फ के स्याह सफेदी को…. जैसे झाड़े उसने अपने…

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अंजुमन

अंजुमन मुश्ताक़ है नज़र तेरे अंजुमन में आज, बेक़रार दिल को तेरी आरज़ू भी है , कौन चाहता है कि शब यूँ ढले. इंतेज़ार में शब-ए-महताब है  -ममता

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