Skip to content Skip to footer

Author page: Mamta Sharma

अरमान

काश….कि कोई हवा चले और यादों का मंज़र संग लिए जाये दर्द भरा ये मौसम बस यूँ ही चुपचाप पिघलता जाए पिघले जैसे आसमान में तपता बादल ठंडी रातों में पतझड़ में शाखों से जो पत्ते बेरहमी से गिरतें हैं अपनी कहानी दर्द भरी ख़ामोशी से लिख देते हैं पत्तों की ढेरी के नीचे इक…

Read more

बिन पंख उड़ जाऊँं

बिन पंख उड़ जाऊँं बादलों में खो जाऊँ आसमान के गांव में बादलों के छाँव में हवा के सरगोशी के नग़्मे कानों में छम से पिघले मेरे संग तुम आओ ना संग मेरे खो जाओ ना इन नर्गिसी नज़ारों में कुछ चाँद कुछ सितारों में बिन पंख उड़ जाऊँं बादलों में खो जाऊँ - ©…

Read more