इल्तिजा

बात लबों पे जो आज आई हैउसे तो कहने दोपर पास न आओ कुछ दूरीतो दरमियान रहने दोहमने छेड़ी जो ग़ज़लतो तुम्हे सुनना होगागर बिखरे अश्कों के फूलतो उन्हें चुनना होगाछेड़ो कोई राग औरतरन्नुम को अब बहने दोआओ बैठो करीब और जज़्बोंको और सुलगने दोकहो न कुछ भीन मुझे कुछ भी कहने दोठहर जाओ आँखों […]

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