अरमान
काश….कि कोई हवा चले और यादों का मंज़र संग लिए जाये दर्द भरा ये मौसम बस यूँ ही चुपचाप पिघलता जाए पिघले जैसे आसमान में तपता बादल ठंडी रातों में पतझड़ में शाखों से जो पत्ते बेरहमी से गिरतें हैं अपनी कहानी दर्द भरी ख़ामोशी से लिख देते हैं पत्तों की ढेरी के नीचे इक […]
