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Tag: ख़ामोशी

ख़ामोशी की दस्तक़

आज दी दस्तक़ फिर उसने आख़िर पूरे साल में कांधे पे इक गर्म शॉल और आँखों में इक ख़ामोशी…. पूछ लिया दरवाज़े पर ही अनगिनत सवाल कहा मैंने अब आ भी जाओ थोड़ा ठहरो बैठ भी जाओ कुछ तो अपनी थकन उतारो झाड़ दो उन्हें अपने कांधों से बर्फ के स्याह सफेदी को…. जैसे झाड़े उसने अपने…

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अरमान

काश….कि कोई हवा चले और यादों का मंज़र संग लिए जाये दर्द भरा ये मौसम बस यूँ ही चुपचाप पिघलता जाए पिघले जैसे आसमान में तपता बादल ठंडी रातों में पतझड़ में शाखों से जो पत्ते बेरहमी से गिरतें हैं अपनी कहानी दर्द भरी ख़ामोशी से लिख देते हैं पत्तों की ढेरी के नीचे इक…

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